महिला एवं बाल-विकास के क्षेत्र में स्वामी आत्मानन्द का अवदानः (अबुझमाड़ के संदर्भ में)
संजय चन्द्राकर1 एव सत्येन्दु शर्मा2
1सहा. प्राध्यापक (समाजशास्त्र)ए शास. दू.ब. महिला स्नात. महाविद्यालय, रायपुर, (छ. ग.)
2विभागाध्यक्ष (संस्कृत)ए शास. दू.ब. महिला स्नात. महाविद्यालय, रायपुर, (छ. ग.)
सारांश
स्वामी विवेकानन्द का कथन है - ‘‘पुरूष और नारी एक पक्षी के दो डैने हैं। यह समाजरूपी पक्षी तब तक ठीक तरह से नहीं उड़ सकेगा, जब तक उसके दोनों डैने समान रूप से सबल और स्वस्थ न हों।’’
विवेकानन्द भावधारा के संन्यासी एवं विचारक स्वामी आत्मानन्दजी उक्त मत के प्रबल संपोषक थे। बस्तर (अबूझमाड़) के माड़िया निवासियों की दयनीय एवं दरिद्रतापूर्ण स्थिति को देखकर स्वामी आत्मानन्द जी अत्यन्त द्रवित हुए। तत्पश्चात् नारायणपुर में रामकृष्ण मिशन आश्रम की स्थापना-काल में ही उन्होंने यह निश्चय किया कि जनजातीय महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण के लिए एक अलग संस्था की स्थापना की जाये। चूंकि विवेकानन्द भावधारा में नारियों से संबंधित कार्यों को हाथ में लेने की अनुमति (बालिका शिक्षा को छोड़कर) नहीं है, अतः उस क्षेत्र में कार्य करने के लिए एक अलग गैर सरकारी संस्था की स्थापना की गई और नाम दिया गया ‘‘विश्वास’’। विश्वास के स्थापना-काल (सन् 1989) से ही उसके अंतर्गत समेकित बाल विकास सेवाएं (आई.सी.डी.एस.) कार्यक्रम का आरम्भ ओरछा (अबूझमाड़) से किया गया।
ओरछा अत्यन्त दुर्गम क्षेत्र है । इस संपूर्ण क्षेत्र में यातायात का विकास लगभग नहीं के बराबर है। यहाँ की ऊंट की पीठनुमा पहाड़ियों में आदिम जनजाति अबूझमाड़िया निवास करती है। यहाँ के निवासियों के खानपान का स्तर अत्यन्त निम्न है तथा ये गम्भीर कुपोषण के शिकार हैं। यहाँ छः वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए शाला पूर्व अनौपचारिक शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी। इन समस्याओं के निदान में ‘‘विश्वास’ का कार्य यहाँ वरदान साबित हो रहा है ।
प्रस्तावनारू
विश्वास का परिचय
‘‘विश्वास’’ विवेकानन्द इन्स्टीट्यूट आॅफ सोशल हेल्थ वेलफेयर एण्ड सर्विस नामक संस्था का संक्षिप्त रूप है। यह नारायणपुर जिला बस्तर (छत्तीसगढ़) में स्थित है। इसकी स्थापना बह्मलीन स्वामी आत्मानन्दजी द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण से जुड़े कार्य करने के लिए की गई है। संस्था मध्यप्रदेश रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 के अधीन पंजीकृत है1 । यह संस्था संपूर्ण छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश में कार्य करने के लिए शासन द्वारा मान्य है। प्रो. ओमप्रकाश वर्मा, सचिव, विवेकानन्द विद्यापीठ, कोटा, रायपुर, छत्तीसगढ,़ इसके वर्तमान अध्यक्ष हैं तथा श्री राकेश चंद्राकर, रामकृष्ण मिशन आश्रम, नारायणपुर, जिला बस्तर, छत्तीसगढ,़ संस्था के वर्तमान सचिव हंै । जिनके कुशल मार्गदर्शन में संस्था निरंतर कार्य कर रही है।
‘विश्वास’ का उद्देश्य2
महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण को ध्यान में रखकर गठित यह संस्था रामकृष्ण विवेकानन्द भावधारा से अनुप्राणित होकर रामकृष्ण मठ-मिशन के सतत संरक्षण व मार्गदर्शन में एक सहयोगी संस्था के रूप में रामकृष्ण विवेकानन्द भावधारा के प्रचार-प्रसार तथा उसके अनुरूप लोक कल्याणकारी कार्यों से निष्ठापूर्वक जुड़ा है।
‘विश्वास’ की वर्तमान गतिविधियाँ
1. भाव प्रचार - इसके अंतर्गत रामकृष्ण विवेकानन्द भावधारा के प्रचार-प्रसार करने हेतु
रामकृष्ण मिशन साहित्य की बिक्री की व्यवस्था करना।
2. ।तपेमए ।ूंाम म्गीपइपजपवद का प्रदर्शन एवं किट का निशुल्क वितरण ।
3. कन्या छात्रावास की स्थापना - माड़िया जनजाति के विकास के लिये रामकृष्ण मिशन
आश्रम, नारायणपुर द्वारा स्थापित आश्रम विद्यालयों में 6 कन्या छात्रावासों की स्थापना एवं संचालन ।
बाल विकास सेवा अबूझमाड़ का परिचय
समेकित बाल विकास सेवा परियोजना अबूझमाड़3 सितम्बर, 1989 से संचालित है। यह स्वामी आत्मानन्दजी द्वारा संस्थापित, जनजातीय परियोजना है । बाल विकास परियोजना अबूझमाड़ को सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों द्वारा अनुदान एवं संसाधन प्रदान किया जाता है। परियोजना को केन्द्र सरकार द्वारा वित्त प्राप्त होता है तथा राज्य सरकार का महिला एवं बाल विकास विभाग उसकी माॅनिटरिंग एवं नियंत्रण का कार्य करती है। परियोजना को ‘‘केयर’’ के माध्यम से खाद्यान्न तथा यूनीसेफ के माध्यम से तकनीकी संसाधन प्रदान किये जाते हैं। परियोजना के लाभार्थिंयों को दवाईयाँ तथा वेक्सीन विश्व स्वास्थ्य संगठन के माध्यम से प्राप्त होता है। ‘‘डेनिडा’’ ने पूरे परियोजना क्षेत्र में आंगनबाड़ी के सामने हैण्डपम्प की खुदाई कर पेयजल की व्यवस्था की है। परियोजना के 16 आँगनबाड़ियों का निर्माण अबूझमाड़ विकास अभिकरण द्वारा किया गया है। बाल विकास सेवा के सफल संचालन हेतु आवश्यक अधोसंरचना के साथ-साथ कार्यालयीन स्टाफ उपलब्ध हैं ।
बाल विकास सेवायें - अबूझमाड़ का उद्देश्य4:-
1. बच्चों के जन्म भार में वृद्धि के उपाय करना एवं कुपोषण को दूर करना।
2. छः वर्ष से कम आयु के बच्चों की रूग्णता एवं मृत्यु दर में कमी लाना ।
3. तीन-छः साल के बच्चों के लिये शाला-पूर्व शिक्षा प्रदान करना ताकि शाला त्यागने की प्रवृत्ति में कमी लायी जा सके ।
4. बच्चों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास हेतु वातावरण निर्मित करना ।
5. माताओं में क्षमता का विकास करना ताकि वे बच्चों की उचित देखभाल कर सकें ।
6. बाल विकास को बढ़ावा देने के लिए नीतिनिर्धारण और कार्यक्रम लागू करने के स्तरों पर प्रभावशाली ताल-मेल कायम करना ।
उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति हेतु इस कार्यक्रम के अन्तर्गत निम्नांकित सेवायें5 प्रदान की जा रही हैं:-
1. बच्चों एवं माताओं (गर्भवती एवं शिशुवती) को पूरक पोषण आहार का आबंटन ।
2. बच्चों एवं माताओं की स्वास्थ्य-जाँच ।
3. बच्चों एवं माताओं के प्राथमिक स्वास्थ्य की देखभाल हेतु परामर्श सेवाएँ ।
4 बच्चों को छः जानलेवा बीमारियों एवं गर्भवती माताओं को टिटनेस से बचाव के लिए प्रतिरक्षी टीके ।
5 माताओं एवं समुदाय को बाल स्वास्थ्य संबंधी पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा ।
6 छः वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए शाला पूर्व अनौपचारिक शिक्षा ।
बाल विकास सेवायें - अबूझमाड़ की विशेषतायें6ः-
1. अबूझमाड़ अंचल 4000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है जहाँ इस परियोजना के अन्तर्गत 28 आँगनबाड़ी केन्द्र एवं 41 उप- आँगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना की गई है। ये केन्द्र अबूझमाड़ के 70 प्रतिशत क्षेत्र में सेवायें प्रदान कर रहे हैं । इन समस्त केन्द्रों तक पहँुचने की पथ की लम्बाई 430 किलोमीटर है जो इस दुर्गम क्षेत्र के लिए अनुपम उपलब्धि है ।
2. अबूझमाड़ में आँगनबाड़ियाँ दूर-दराज के जंगलों के भीतर अवस्थित है, तथा इस सेवा में लगी महिलाओं को मानदेय के रूप में उचित आर्थिक मदद दी जाती है।
3. श्रेष्ठतम संचालन के लिए विश्व बैंक व्दारा प्रशंसित ‘विश्वास’ देश में अपना विशिष्ट स्थान रखता है।
4. विश्व बैंक द्वारा बाल विकास सेवाओं के कुशल संचालन हेतु सतत् आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
5. इस सेवा परियोजना के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ‘‘केयर’’ के माध्यम से गर्भवती तथा शिशुवती माताओं को सी.एस.बी. एवं सलाद तेल उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन एवं कैलोरी प्राप्त हो सके।
6. पोषण की स्थिति में सुधार लाने के लिये राष्ट्रीय आहार संस्था ‘भारतीय पोषण अनुसंधान परिषद्, हैदराबाद’ द्वारा विकसित हैदराबादी मिश्रण प्रत्येक बच्चों को उपलब्ध कराया जाता है। इससे कुपोषित बच्चों की संख्या में लगातार कमी आ रही है ।
7. परियोजना अन्तर्गत हितग्राहियों के स्वास्थ्य की जाँच, रामकृष्ण मिशन आश्रम द्वारा संचालित स्वास्थ्य केन्द्रों के माध्यम से चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाता है।
8. परियोजना के तहत यहाँ के आदिवासियों के प्राथमिक स्वास्थ्य की देखभाल कार्यकर्ताओं एवं संस्था के हेल्थ वर्करों द्वारा की जाती है। इस हेतु पर्याप्त मात्रा में औषधि का भण्डारण एवं वितरण सुनिश्चित किया गया है। प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा ग्राम में ही सुलभ हो जाने से अब इन्हें अन्यत्र भटकना नहीं पड़ता ।
9. सन्दर्भ सेवा के अन्तर्गत गम्भीर रोगी को बड़े चिकित्सालयों में भेजा जाता है। परियोजना सेवा के अन्तर्गत टीकाकरण प्रमुख सेवा है। इसके अन्तर्गत गलघोंटू, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो और तपेदिक के टीके सहित महामारी की आशंका वाले क्षेत्रों में खसरा के टीके लगाये जाते हैं।
10. परियोजना में आँगनबाड़ी सबसे प्राथमिक इकाई है जहां से लाभार्थियों को सभी सेवायें प्रदान की जाती हैं। प्रशिक्षण हेतु माताओं से सम्पर्क करने के विभिन्न तरीके अपनाये जाते हैं यथा गृह-भेंट, विशेष अभियान, बैठकें आदि एवं इनके माध्यम से उन्हे ंपोषण एवं स्वास्थ्य की शिक्षा दी जाती है।
11. दूरस्थ अंचलों में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये शाला-पूर्व शिक्षा दी जाती है जिसमें 3-6 वर्ष के बच्चे शामिल किये जाते हैं। इन बच्चों को गीत एवं खेल के माध्यम से सामान्य ज्ञान, वर्णमाला और आरम्भिक गिनती आदि सिखाई जाती है।
नारी स्वावलम्बन एवं सशक्तीकरण संबंधी कार्य निम्नलिखित हंै:-
स्वामी आत्मानन्दजी समाज के विकास में ेमहिलाओं को भी सम्पूर्ण रूप से सशक्त बनाने पर जोर दिया। उन्होंने महिलाओं के विकास के लिये राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक स्तर पर संचालित कार्यक्रमों को अबूझमाड़ जैसे धूर-वनांचल क्षेत्र की महिलाओं तक पहुँचाया। ‘विश्वास’ के अन्तर्गत महिलाओं के सशक्तीकरण संबंधी संचालित कार्यक्रम निम्नलिखित हैः-
महिला स्वावलम्बन एवं बचत समूह, महिला मण्डलों का गठन, महिला जागृति शिविरों का आयोजन, नशा-शराब विरोधी रैली एवं अभियान, विशेष पोषण आहार कार्यक्रम, आयुष्मति योजना, राष्ट्रीय मातृत्व कल्याण योजना, बालिका समृद्धि योजना, किशोरी बालिका योजना, ग्राम्या योजना, दत्तक पुत्री शिक्षा योजना, महिला बचत एवं स्व-सहायता समूह, राज राजेश्वरी योजना, बाल विवाह की रोकथाम, दहेज प्रतिरोध, महिला उत्पीड़न निवारण केन्द्र, बाल संरक्षण गृह, महिला सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र, फोटो काॅपियर योजना, महिला बीमा योजना, महिलाओं के प्रशिक्षण एवं विकास संबंधी कार्य, महिला पंच/सरपंचों का प्रशिक्षण, दाई एवं सहायिका प्रशिक्षण7 ।
‘विश्वास’ ने महिला एवं बाल कल्याण के क्षेत्र में अनेक उत्कृष्ट कार्य किए हैं जिसके परिणामस्वरूप इस संस्था को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा स्थापित ‘‘मिनीमाता सम्मान’’8 वर्ष 2002 के लिए दिया गया, जो इसकी सफलता का प्रमाण है ।
अबूझमाड़ अंचल में संचालित इस योजना के महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त हुए हैं । यहाँ माताओं के स्वास्थ्य में सुधार, गर्भवतियों के वजन में वृद्धि, शिशुओं के जन्म भार में वृद्धि तथा शिशु एवं मातृ मृत्यु दर मंें कमी आयी है । संक्षेप में अबूझमाड़ में ज्ञान के उदय की दिशा में ‘विश्वास’ के माध्यम से बच्चों एवं महिलाओं के कल्याण के लिये किये जा रहे कार्य सफल साबित हो रहे हैं । यह अंचल कुपोषण, रूग्णता, शिशु मृत्यु-दर, मातृ मृत्यु-दर एवं बीमारियों की जकड़न में था लेकिन ‘विश्वास’ द्वारा किये गये महिला एवं बाल कल्याण संबंधी कार्यों से इसकी दरों में अप्रत्याशित कमी आयी है । संस्था ने नारी जागरण एवं सशक्तीकरण के क्षेत्र में नयी ऊर्जा का संचार किया है । निश्चित ही स्वामी आत्मानन्दजी द्वारा स्थापित संस्था के उपरोक्त कल्याणकारी कार्यों के दूरगामी परिवर्तनकारी परिणाम परिलक्षित हो रहे हैं ।
संदर्भ गं्रथ
1 .संक्षिप्त प्रतिवेदन, रामकृष्ण विवेकानन्द आश्रम, नारायणपुर, 2003
2. वही
3. बाल विकास सेवा, ओरछा (अबूझमाड़) का संक्षिप्त प्रतिवेदन, वर्ष 2003-04
4. वही
5. समेकित बाल विकास सेवायें, महिला एवं बाल विकास विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, पृष्ठ 32, वर्ष 2001
6. बाल विकास सेवा, ओरछा (अबूझमाड़) का संक्षिप्त प्रतिवेदन, वर्ष 2003-04
7. वही
8. वही
Received on 11.09.2010
Accepted on 31.10.2010
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Research J. of Humanities and Social Sciences. 1(2): July-September 2010, 51-53